आख़िर ये मन क्यों रेत हुआ जा रहा | हिंदी कविता

आख़िर ये मन क्यों रेत हुआ जा रहा | हिंदी कविता – मानस मुकुल
क्या होता है जब मन रेत हुआ जा रहा होता
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